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‘हिमालयन वियाग्रा’ को इंटरनैशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने रेड लिस्ट में डाला:

देहरादून – हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में पायी जाने वाली फंजाई ओफियोकॉर्डिसेप्स साइनेसिस जिसको हिमालयन वियाग्रा (Himalayan Viagra) भी कहा जाता है और जो दुनिया के सबसे मूल्यवान फंजाई है, जिसकी सारे विश्व में यौन शक्ति के बढ़ाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है, उस फंजाई को इंटरनैशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने रेड लिस्ट में डाल दिया है.

इंटरनैशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) इसको जरूरत से अधिक पैदावार की वजह से अतिसंवेदनशील श्रेणी में ले लिया है, याद रहे इस फंजाई की कीमत इंटरनेशनल मार्किट में 20 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक है.

वैश्विक स्तर पर ऐनिमल, प्लांट और फंजाई के संरक्षण की सबसे विश्वसनीय संस्था IUCN ने 9 जुलाई को जारी लिस्ट में कामोत्तेजक गुणों के लिए पहचाने जाने वाले हिमालयन वियाग्रा को भी संवेदनशील सूची में शामिल किया, IUCN ने इसकी वजह इसका ‘जरूरत से ज्यादा उपज’ को बताया है, जिसकी वजह से पिछले 15 सालों में 30 प्रतिशत तक की कमी आई है।’

उत्तराखंड में इसको “कीड़ा जड़ी” कहा जाता है क्योंकि, इसकी अधिक पैदावार देखने में कीड़े की आकार की लगती है इसलिए उत्तराखंड में इसको कीड़ा जड़ी के नाम से जाना जाता है, यह पूरे हिमालयी क्षेत्र में पायी जाती है जिसमे तिब्बती पहाड़ी इलाकों का यह हिमालयन वियाग्रा चीन, भूटान, नेपाल और भारत में पैदा होता है, भारत में यह सबसे ज्यादा उत्तराखंड में पाया जाता है, यहां पर भी पिथौरागढ़ और चमोली जिलों में इसकी उपज सबसे ज्यादा है.

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