नई दिल्ली – चीन के वहां से निकला कोरोना वायरस धीरे धीरे पूरी दुनियां को लील गया, कोरोना के फैलाव में चीन के गैर जिम्मेदार रवैये को देखते हुए पूरी दुनिया में उसके प्रति गुस्सा देखने को मिला है साथ ही चीन की व्यापारिक साख भी गिरती जा रही है, जो भारत के लिए एक बड़ा मौका बन कर उभरा है, जिसका भारत भी फायदा उठाने में जुट गया है, खबर है कि कोरोना संकट के कारण और उसके बाद विदेशों में फ्रॉजन फूट आइटम्स की मांग बढ़ रही है, लोगों का अब चीन पर भरोस कम हो रहा है, इसलिए भारत ने इसकी आपूर्ति के लिए अपनी तैयारी कर ली है.
न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल के हवाले से कहा है कि भारत के पास सबसे बड़ा मौका दक्षिण एशियाए देशों में है जो फ्रॉजन फूड्स के आयात के लिए चीन का विकल्प ढूंढ रहे हैं, सरकार इन हालात का फायदा उठाने में देसी कंपनियों की भरपूर मदद कर रही है.
चीन विरोधी भावना के वैश्विक उभार के दौर में भारत के प्रति विश्व का विश्वास बढ़ा है, ऐसे में प्रसंस्कृत और मूल्य वर्धित (प्रोसेस्ड ऐंड वैल्यु ऐडेड) उत्पादों के निर्यात में बड़े इजाफे के आसार दिख रहे हैं, हरसिमरत कौर बादल ने ब्लूमबर्ग से कहा, “हमने फ्रॉजन फूड और रेडी टु ईट सेगमेंट जैसे विभिन्न क्षेत्रों की पहचान की है जहां हमारे लिए अवसरों का द्वार खुला है”.
वैसे तो भारत खाद्य उत्पादन के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, लेकिन रखरखाव और कोल्ड स्टोरेज जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यहां कुल खाद्यान्न का मात्र 10% ही प्रोसेस हो पाता है, और काफी मात्रा में नष्ट हो जाता है, लेकिन अब सरकार ने लोकल कंपनियों को फूड प्रोसेसिंग में मदद देना शुरू कर दिया है, खास कर कोरोना के कारण उपजे इस वित्तीय संकट के वक्त इस उद्योग से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की उम्मीद जगी है, इस कदम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह वादा भी पूरा हो सकता है जिसमें उन्होंने 2022 तक किसानों का आमदनी दोगुनी करने का भरोसा दिलाया है.