नई दिल्ली – भारत के पूर्व राष्ट्रपति और देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत-रत्न से नवाजे गए प्रणब मुखर्जी का आज सोमवार को 84 साल की उम्र में निधन हो गया है, उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी, उनको 10 अगस्त को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद दिल्ली में आर्मी रिसर्च ऐंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, उनके दिमाग में बने खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी ब्रेन सर्जरी की गई थी, जिसके बाद से ही वह वेंटिलेटर पर थे.
प्रणव मुखर्जी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे थे उनको पिछले साल ही मोदी सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया था, वे जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे, वे जब 2018 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय नागपुर में उसके एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता गए थे तब देश में काफी हो हल्ला मचा था पर उन्होंने किसी भी बात की चिंता नहीं की, भले ही इससे कांग्रेस असहज हुई थी.
प्रणव मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गांव में 1 दिसंबर 1935 को हुआ था, प्रणब मुखर्जी ने 1969 में कांग्रेस में शामिल हुए थे,उसी साल उनको राज्यसभा के लिए चुना गया, वे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भी भरोसेमंद साथी रहे थे, वे पांच बार राज्य सभा के लिए चुने गए, सन 2004 और 2009 में पश्चिम बंगाल की जंगीपुर सीट से 2 बार लोकसभा के लिए भी चुने गए, वह 23 सालों तक कांग्रेस वर्किंग कमिटी के सदस्य भी रहे.
प्रणव मुखर्जी सन 1973 में वह पहली बार इंदिरा गाँधी के मंत्रिमंडल केंद्र सरकार में मंत्री बने थे, उनको इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट मंत्रालय में डेप्युटी मिनिस्टर बनाया गया था, 1982 से 1984 तक वह केंद्रीय वित्त मंत्री रहे, हालांकि, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मुखर्जी खुद को कांग्रेस में अलग-थलग महसूस करने लगे और 1986 में राजीव गांधी से मतभेदों के बाद उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस नाम की एक नई पार्टी बनाई पर 3 साल बाद उनकी फिर से कांग्रेस में वापसी हुई और उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया
सन 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया था, सन 1993 से 1995 तक वह वाणिज्य मंत्री रहे, 1995 से 1996 तक वह नरसिंह राव सरकार में ही भारत के विदेश मंत्री रहे.
प्रणब मुखर्जी की गिनती गांधी परिवार के बेहद भरोसेमंद नेता रहे, कहा जाता है सोनिया गांधी को राजनीति में लाने के लिए मनाने वालों में प्रणब मुखर्जी ही प्रमुख थे, हालांकि 2004 सोनिया गाँधी के पीएम बनने से इनकार और उसके बाद मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे बढाए जाने के फैसले से लोग बेहद चौंके थे, उस वक्त प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के सबसे उपयुक्त और सशक्त दावेदार माने जाते थे, प्रणव मुखर्जी मनमोहन सरकार में 2004 से 2006 तक रक्षा मंत्री रहे, 2006 से 2009 तक वह विदेश मंत्री और 2009 से 2012 तक वित्त मंत्री रहे, 2012 में वह देश के 13वें राष्ट्रपति बने और जुलाई 2017 तक इस पद पर रहे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी गणमान्य लोगों ने उनके निधन पर अपनी गहरी संवेदना प्रकट की