नई दिल्ली – ऑस्ट्रेलिया से आया फल कीवी वैसे तो अमीरों का फल समझा जाता था पर धीरे धीरे वह अब भारत में लोकप्रिय होने लगा, पर भारत में यह कुछ गिने चुने जगह ही उपजाया जाता है, उत्तराखंड के टिहरी जिले के दुवाकोटी के लोगों ने शायद ही कभी इस फल का नाम सुना था, पर जब गाँव की सीता देवी के मन में जब इसकी खेती करने की सोची तब गाँव के सयानों ने उनका जम कर मजाक उड़ाया, पर सीता ने परंपरागत रास्ते से हटकर कुछ अलग करने की सोची, सीता देवी ने कुछ वर्ष पहले कीवी के पौधों को लगाकर इसके फलों का व्यापार करने का फैसला लिया, गाँव के लोगों ने अज्ञानता के कारण उनका जम कर मजाक उड़ाया, क्योंकि वो इस विदेशी फल के बारे में नहीं जानते थे फिर उनको एक महिला के इस साहसिक कदम पर यकीन भी नहीं था.
चंद बरस पहले तक सीता देवी गांव के अन्य लोगों की तरह परंपरागत तरह से अपने खेत में आलू और मटर जैसी फसलें उगाती थीं पर उसमे हमेशा बंदरों और अन्य जंगली जानवरों से बर्बादी का डर रहता था, परेशान होकर उन्होंने कुछ अलग करने की सोची, अपने पति राजेंद्र से भी सलाह मशविरा करने के बाद उनको उद्यान विभाग की कीवी प्रोत्साहन योजना के बारे में पता चला और यह जानकारी मिली कि बंदर कीवी को नुकसान नहीं पहुंचाते, इस बात की जानकारी होते ही सीता देवी को उम्मीद की किरण नजर आयी, सीता देवी सीधे उद्यान विभाग के कार्यालय पहुंच गईं और कीवी की खेती की जानकारी ली प्राप्त की, इसके बाद उद्यान विभाग के अधिकारीयों की मदद से उन्होंने इसके लिए हिमाचल प्रदेश में ट्रेनिंग भी ली और लौटकर खेतों में ऑर्गेनिक कीवी के उत्पादन की कवायद शुरू कर दी.
सीता देवी ने कीवी की खेती शुरू कर दी पर मदद करने की बजाय गांव के लोगों ने ही उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया, पर तमाम लोगों की आलोचना और उपेक्षा के बाद भी सीता देवी अपने फैसले पर अडिग रहीं, धीरे धीरे कीवी के फलों पर बयार छाने लगी और अच्छी फसल पैदा होने लगी आज इसी फल की बदौलत वह हर साल लाखों रुपये कमा रही हैं, जो लोग पहले उनका मजाक उड़ाते थे वो आज उनके हौसले की तारीफ करते नहीं थकते, अब क्षेत्र के लोग उन्हें ‘कीवी क्वीन’ के नाम से बुलाते हैं.