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उत्तराखंड में फूलों की खेती करने वालों को 200 करोड़ का नुकसान, कोरोना की वजह से व्यापार में मंदी:

देहरादून – कोरोना वायरस का कहर और उसके बाद हुए लॉक डाउन से पूरे देश में व्यापार का पहिया थम सा गया है, भयभीत लोगों के बाहर न निकलने से व्यापारिक गतिविधियां ठप्प हैं. देश खास कर उत्तराखंड में फूलों की खेती करने वालों को भी भारी नुकसान हुआ है, राज्य में फूलों की खेती और फूलों का कारोबार डैम तोड़ गया है, लॉकडाउन में सारी गतिविधियां और शुभ कार्य थम जाने से फूल खेतों में पड़े-पड़े सड़ रहे हैं, इस कारोबार से लगभग दस हजार किसान परिवार जुड़ चुके थे, 15.65 करोड़ कट फ्लावर का उत्पादन वर्तमान में हो रहा था, उत्तराखंड में 2073 मीट्रिक टन लूज फ्लावर की भी पैदावार होती है.

पूरे राज्य में बेरोजगारों और खेती में नए जुड़े लोगों ने ने जोखिम उठाकर भी फूलों की आधुनिक खेती में अपना हाथ आजमाया, इन लोगों ने बैंको से लोन लेकर अपना कारोबार खेती के माध्यम से शुरू किया, लेकिन कोरोना संकट के कारण लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है, यही वजह है कि दस हजार फूल उत्पादकों पर संकट के बादल अब मंडराने लगे हैं, उत्तराखंड में फूलों की खेती का सालाना टर्न ओवर लगभग 200 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका था.

यह कहानी चंपावत जिले की तल्ली चौकी गांव के बसंत राज गहतोड़ी की है जिन्होंने बैंक से 10 लाख का कर्जा लेकर इससे लिलियम फूलों की खेती शुरू की थी जब फूलों की फसल तैयारहो गयी, तो लॉकडाउन के चलते फूलों का बाजार बंद हो चुका था, लिहाजा उनको अपनी पूरी फसल को फेंकने के अलावा कोई रास्ता नहीं सूझा, इसी प्रकार नैनीताल जिले के धारी ब्लॉक के पोखराड़ क्षेत्र में फूलों की खेती कर रहे संजय बिष्ट को भी अपने फूलों की फसल को नदी किनारे फेंकना पड़ा, संजय का कहना है कि लॉकडाउन के कारण फूलों को मंडी तक भेजना संभव नहीं हो सका, इसलिए भारी नुकसान हो गया, संजय कहते हैं, कि जब फूलों की सर्वाधिक बिक्री होती थी, तभी लॉकडाउन भी घोषित हो गया, इससे बाजारों में फूलों की मांग खत्म हो गई,

शादियों, सगाई और अन्य कार्यक्रमों में ग्लेडियोलस और अन्य सजावटी फूलों की बड़ी इन समारोहों और अन्य कई भव्य आयोजनों और मंदिरों में हुआ करती थी, कुछ फूलों का निर्यात भी होता था, लेकिन लॉकडाउन से सब कुछ बंद हो गया.

देहरादून के डोईवाला क्षेत्र के गांव में भी ग्लेडियोलस फूल की खेती मई-जून के महीने में तैयार होती है, इसको भी बाजार में उपलब्ध न हो पाने से लोग निराश बैठे हैं, लॉकडाउन से पहले अगर फूलों की खेती के कारोबार पर नजर डालें, तो जरबेरा फूल का राज्य में अनुमानित टर्न ओवर 60 करोड़, गेंदा फूल का 56 करोड़, ग्लेडियोलाई का 28 करोड़ के आसपास बताया जाता है, लेकिन अब सब बंद हो चुका है, इससे फूलों की खेती करने वाले किसान बेहद निराश हैं.

समाचार साभार – नवभारत टाइम्स

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