देहरादून – लगभग आठ महीने पहले पाक सीमा से जवान हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी लापता हो गए थे, जब उनका शरीर भारतीय सेना को मिला तो उनके मृत शरीर को को उनके आवास पर लायी, जब शहीद जवान हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी का पार्थिव शरीर बृहस्पतिवार को सैन्य अस्पताल से उनके आवास अंबीवाला लाया गया तो अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा, परिजन जो उनको जीवित समझ रहे थे उनका रो रोकर बुरा हाल था, लापता होने के बाद से ही परिजन हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी के लौटने का इंतजार कर रहे थे.
पिछले 8 माह से उनकी पत्नी राजेश्वरी नेगी उनका इंतज़ार कर रही थीं पर कभी कभी उनको अनहोनी की आशंका भी होती थी, लेकिन उनको आस बंधी हुई थी कि उनके पति लौटकर जरूर आएंगे, लापता के बाद से जब भी उनके घर फोन की घंटी बजती थी तो उन्हें उनके लौटने की उम्मीद की किरण दिखाई देती थी, लेकिन जब सेना की ओर से उनको कहा जाता था कि उनका कहीं पता नहीं चल रहा है तो फिर पूरा परिवार मायूस में खो जाता था.
छह माह तक जब राजेंद्र सिंह नेगी का पता नहीं चला तो सेना ने उन्हें शहीद घोषित कर दिया, लेकिन, पत्नी राजेश्वरी नेगी ने उम्मीद नहीं छोड़ी थी, उन्हें उम्मीद थी कि पति एक दिन लौटकर जरूर आएंगे, चाहे तिरंगे में ही लिपटकर आएं, यही वजह थी कि शहीद घोषित के बाद भी पत्नी ने पति को शहीद मानने से इंकार कर दिया था.
बृहस्पतिवार को जब तिरंगे में लिपटकर उनका पार्थिव शरीर आवास लाया गया तो पत्नी ने माना कि उनके पति शहीद हो गए हैं. इस दौरान उन्होंने गुस्से में सेना को कहे शब्दों के लिए भी विनम्रता से माफी मांगी.
समाचार साभार – अमर उजाला